भारत को साधुओं,सपेरों,जादूगरों और आदिवासी पिछड़े का देश कहने वाले तो अब खामोश हो चुके हैं लेकिन, अब हम स्वयं अपनी हरकतों से फिर वही साबित करने की कोशिश कर रहे हैं। चाहे तमिलनाडु में सांडों से लड़ने की लोकपरम्परा के नाम पर लोगों का ग़दर हो या फिल्म के प्रचार के लिए शाहरुख खान की मुंबई से दिल्ली की रेलयात्रा के दौरान दीवानों का अतिरिक्त उत्साह हो, जान-माल की हिफाजत करने में समाज और सरकार दोनों नाकाम हो रहे हैं। Indian Raiway का ध्यान operations से ज्यादा cosmetics पर है I देश की जनता का ध्यान कानून को धत्ता बताने और चौधरी बनकर बैठने मे है I बहुत आगे हम आ चुके है और बहुत आगे हमे जाना है तो दोस्तों आइये इस गणतंत्र दिवस पर एक संकल्प ले देश को नयी ऊंचाइयों पर ले जाने का I और अगर ऐसा हुआ तो मैं कह सकता हु कि 18वी सदी फ्रांस की थी 19वी सदी ब्रिटेन की थी 20वी सदी अमेरिका की थी पर 21वी सदी मेरे प्यारे वतन भारत की होगी I साहिल कुमार जय हिन्द जय संविधान
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