Thursday 5 January 2017

महात्मा गांधी on मज़दूर

" महात्मा गांधी ने एक बार कहा था की मज़दूर के माथे का पसीना सूखने से पहले उसके परिश्रम की क़ीमत उसे मिल जानी चाहिए । क्योंकि श्रमिक / मज़दूर / किसान वो लोग होते है जो सुबह कुआँ खोदते है इस चीज़ के लिए की शाम को उन्हें उसी कुएँ से पानी पीना है । हर रोज़ कुआँ खोदना है हर रोज़ प्यास बुझानी हैं। हर रोज़ चूल्हा जलाना है हर रोज़ रोटी खानी हैं ।" इन चीज़ों से किसी का नुक़सान हो ना हो , पर उस श्रमिक किसान मज़दूर का ज़रूर होता है जिसे हर रोज़ अपने पेट के लिए परिश्रम करना है | ज़रा सोचिए उन लोगों के बारे में ! 

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